मोक्ष प्राप्ति का मंत्र | Moksha Prapti Mantra

Moksha Prapti Mantra In Hindi

हिंदू धर्म में मोक्ष को जीवन का अंतिम और परम लक्ष्य माना गया है। यह संसार के जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति का द्वार है। जो आत्मा मोक्ष प्राप्त कर लेती है, वह ईश्वर के चरणों में स्थायी स्थान प्राप्त करती है। इस लेख में हम जानेंगे मोक्ष प्राप्ति का शक्तिशाली मंत्र (moksha prapti ka mantra), उसकी महिमा और जाप की विधि।


Moksha Prapti Mantra

मोक्ष क्या है? | What is Moksha?

मोक्ष का अर्थ है – मुक्ति, अर्थात आत्मा का शरीर के बंधनों से मुक्त होकर परमात्मा में विलीन हो जाना। यह स्थिति कर्मों के फल, पुनर्जन्म और दुखों से परे होती है। Moksha न केवल एक धार्मिक अवधारणा है बल्कि आत्मिक शांति और चेतना का उच्चतम स्तर भी है।

मोक्ष प्राप्ति के लिए मंत्र | Moksha Prapti Ke Mantra

यहाँ कुछ अत्यंत प्रभावशाली और सिद्ध मोक्ष प्राप्ति के मंत्र (moksha prapti mantra in hindi)और विधि दिए जा रहे हैं, जिनका जाप करके साधक मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है।

संस्कृत -
* बन्ध मोक्षश्चत्वारिंशद्दिन पर्यन्त प्रत्यहं प्रत्यहं,
संहार क्रमेण पाठ त्रयं कुर्यात् बन्ध मोक्षो भवति,
यतीनां संहार क्रमः श्रेष्ठः ||

भावार्थ - संहार क्रम से ४० दिन तक ३ पाठ श्रीमद भगवत गीता नित्य करने से मोक्ष हो जाता है। प्रत्येक श्लोक पर अध्याय १८ के ७८ वे श्लोक का सम्पुट लगावें, सन्यासियों के लिये संहार-क्रम श्रेष्ठ है।

पद्य -
* संसार बन्धन मोक्ष की जो कामना योगी करे,
तो नित्य ही संहार क्रम से तीन पाठों को करे।
चालीस दिन तक पाठ कर जव चित्त हो गोपाल में,
तो फिर नहीं वह पड़ सके ससार सागर जाल में ||

पाठ करने की विधि

संहार क्रम से-पाठ करने की विधि यह है कि गीताजी के अध्यायों का उल्टा पाठ करे यानी पहले अठारहवां अध्याय पढ़े फिर (१७) सत्तरहवां फिर (१६) फिर (१५) फिर (१४) पुनः (१३) पुनः (१२) पुनः (११) पुनः (१०) पुनः (६) फिर (८)
(७), (६), (५), (४), (३), (२) सबसे अन्त में (१) पहला अध्याय इस प्रकार से पाठ करना संहार क्रम है । प्रतिदिन ३ पाठ करे ४० दिन तक मोक्ष के लिये ।

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