प्रेम के भूखे हैं भगवान लिरिक्स | Prem Ke Bhukhe Hai Bhagwan Lyrics

Prem Ke Bhukhe Hai Bhagwan Lyrics

Prem Ke Bhukhe Hai Bhagwan Lyrics In Hindi

प्रेम का भूखा हूँ मैं,
और प्रेम ही एक सार है,
प्रेम से मुझको भजे तो,
भव से बेड़ा पार है ||

प्रेम बिन सब कुछ भी,
दे डाले तो मैं लेता नहीं,
प्रेम से एक फूल तुलसी दे,
मुझे स्वीकार है ||

अन्न धन और वस्त्र भूषण,
कुछ न मुझ को चाहिये,
आप हो जावे मेरा,
बस पूर्ण यह सत्कार है ||

प्रेम बिन सूनी पुकारों को,
कभी सुनता नहीं,
प्रेम पूरित टेर ही,
करती मुझे लाचार है ||

जो मुझी में प्रेम रखकर,
मुझको भजते हैं सदा,
उनके और मेरे हृदय का,
एक रहता तार है ||

बांध लेते हैं मुझे यों,
भक्त दृढ़ जन्जीर में,
इसलिये इस भूमि पर होता,
मेरा अवतार है ||

इस अधम नर देह का,
हरिनाम ही आधार है,
प्रेम के भूखे हैं प्रभु,
"शिवा" की यह गुफ्तार है ||

किन्तु प्रेम और भक्ति बिना,
विश्वास के नहीं होती पूर्ण,
विश्वास सफलता की कुञ्जी है ||

सूत्र-विश्वासो फलदायकः

दोहा-
बिन विश्वास भक्ति नहिं,
तेहि बिनु द्रवहिं न राम,
राम कृपा बिन जीव कहूँ,
सपने कि लह विश्राम ||

अर्थात

"No relief without belief"
नो रिलीफ विदाऊट बिलीफ
यानी बिना विश्वास के पूर्ण विश्राम नहीं मिलता ||

श्लोक-
भवानी शंकरौ वन्दे,
श्रद्धा विश्वास रूपिणौ,
याभ्यां विना न पश्यन्ति,
सिद्धाः स्वान्तस्थमीश्वरम् ||

भावार्थ-
हम माता पार्वती जो कि श्रद्धा का स्वरूप हैं और भगवान शंकर जो कि विश्वास का स्वरूप हैं उनकी वन्दना
करते हैं क्योंकि बिना श्रद्धा और विश्वास के सिद्ध भी हृदयस्थ ईश्वर को नहीं देख सकते अतः श्रद्धा और विश्वास के साथ श्री राम चरित मानस का पाठ प्रारम्भ कीजियेगा ।

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