श्री गायत्री उपासना | Shri Gayatri Upasana
Shri Gayatri Mantra Meaning
श्री गायत्री उपासना | Shri Gayatri Upasana एक दिव्य साधना है जो मन, वाणी और कर्म को शुद्ध कर हमें जीवन के सत्य को प्रदर्शित करती है। यह सनातन धर्म की मूलधारा में सबसे प्रमुख और प्रभावशाली उपासना मानी जाती है। श्री गायत्री माँ को वेदों की जननी कहा गया है, और इसकी उपासना से आत्मा का परिष्कार, बुद्धि की प्रखरता तथा जीवन में सफलता प्राप्त होती है। श्री मुनिशानंद कृत कल्पतरु से अवतरित लेख श्री गायत्री की उपासना के २४ देवताओं के मंत्र और उनकी स्तुति से मिलने वाला फल की प्रस्तुति किया गया है।श्री गायत्री उपासना के मंत्र और फल
श्लोक -* गायत्र्यास्तु परं नास्ति,
शोधनं पापकर्मणम्,
महाव्याहृतिसंयुक्तां,
प्रणवेन च स जपेत् ||(संवर्तस्मृति श्लोक २१८)
अर्थ-
* गायत्री से बढ़कर पाप कर्मों का शोधक (प्रायश्चित्त) दूसरा कुछ भी नहीं है।
* प्रणव (ॐकार) सहित तीन महाव्याहृतियों से युक्त गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिये।
* श्री गायत्री मंत्र तथा उसकी विषद् व्याख्या श्री गायत्री को शाप से मुक्त किये बिना जप करना फल नहीं देता।
अतः पृष्ठ ६८ पर दिये गये श्री गायत्री स्तुति मंत्र को प्रथम तीन बार बोल कर गायत्री जप प्रारम्भ करें ।
श्री गायत्री के चौबीस देवताओं की गायत्री तथा फल
१ गणेश गायत्री* ओ३म् एक दंष्ट्राय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात् || (फल-सफलता, विघ्न नाश)
२ नृसिंह गायत्री
* ओ३म् उग्न नृसिंहाय विद्महे, वज्ञ नखाय धीमहि, तन्नो नृसिंह प्रचोदयात् ||(फल-पराक्रम शक्ति, रक्षा)
३ विष्णु गायत्री
* यो३म् नारायणाय विद्महे, बासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् || (फल-पालन शक्ति)
४ शिव गायत्री
* ओ३म् तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तस्रो शिवः प्रचोदयात् || (फल-कल्याण- अनिष्ट नाश)
५ कृष्ण गायत्री
* धोरम् देवकी नन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्णः प्रचोदयात् ||(फल-योग शक्ति)
६ राधा गायत्री
* ओ३म् वृषभानुजायै विद्महे, कृष्ण प्रियायै धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात् ||(फल-श्रमशक्ति)
७ लक्ष्मी गायत्री
* ओ३म् महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ||(फल-धन शक्ति)
८ अग्नि गायत्री
* ओ३म् महज्वालाय विद्महे, अग्निदेवाय धीमहि, तन्नो अग्नि प्रचोदयात् ||(फल-तेज शक्ति)
९- इन्द्र गायत्री
* ओ३म् सहस्र नेत्राय विद्महे, बज्र हस्ताय धीमहि, तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात् ||(फल-रक्षा शक्ति)
१० सरस्वती गायत्री
* श्रो३म् सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्म पुत्र्यै धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् ||(फल-बुद्धि शक्ति)
११-दुर्गा गायत्री
* ओ३म् गिरजायै विद्महे, शिव प्रियायै बीमहि तन्नो, दुर्गा प्रचोदयात् ||(फल-दमन शक्ति)
१२-हनुमान गायत्री
* श्रो३म् अञ्जनी सुताय विद्महे, वायु पुत्राय धीमहि, तन्नो मरुतः प्रचोदतात् ||(फल-कर्म परायणता)
१३-पृथ्वी गायत्री
* ओ३म् पृथ्वी देव्यै विद्महे, सहस्र मूत्य धीमहि, तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात् ||(फल-धारणा शक्ति)
१४- सूर्य गायत्री
* ओ३म् भास्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तत्रो सूर्यो प्रचोदयात् ||(फल-प्राण शक्ति)
१५-राम गायत्री
* ओ३म् दशरथाय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तत्रो रामः प्रचोदयात् ||(फल-मर्यादा शक्ति)
१६- सीता गायत्री
ओ३म् जनक नन्दिन्यै विद्महे,भूमिजार्य धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात् ||(फल-तप शक्ति)
१७-चन्द्र गायत्री
* ओ३म् क्षीर पुत्राय विद्महे, अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ||(फल - शान्ति शक्ति)
१८-यम गायत्री
* ओ३म् सूर्य पुत्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नो यमः प्रचोदयात् ||(फल - मृत्यु से निर्भयता)
१९- ब्रह्मा गायत्री
* ओ३म् चतुर्मुखाय विद्महे, हंसारुढ़ाय धीमहि, तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ||(फल - पुत्रादि उत्पादक शक्ति)
२०-वरुण गायत्री
* ओ३म् जल बिम्बाय विद्महे, नील पुरुषाय धीमहि,तन्नो वरुणोः प्रचोदयात् ||(फल- रस शक्ति)
२१- नारायण गायत्री
* ओ३म् नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो नारायण प्रचोदयात् ||(फल - आदर्श शक्ति)
२२-हयग्रीव गायत्री
* ओ३म् वाणीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि, तन्नो हंसः प्रचोदयात् ||(फल - साहस शक्ति)
२३- हँस गायत्री
* ओ३म् परमहँसाय विद्महे, महाहँसाय धीमहि, तन्नो हँसः प्रचोदयात् ||(फल - विवेक शक्ति)
२४- तुलसी गायत्री
* ओ३म् श्री तुलस्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ||(फल सेवा शक्ति)
नोट- ये गायत्री के २४ देवता हैं, तथा उनकी भिन्न भिन्न २४ गायत्री हैं, उनके लाभ भी साथ दिये गये हैं। जिन्हें जिस लाभ की आवश्यकता हो, वे उसी का जाप करें, तथा साथ ही साथ मूल गायत्री का भी जाप करें । इसके
अतिरिक्त गायत्री का बीज मंत्र भी है उसके जप करने से शीघ्र ही सभी मनोकामनाओं की पूति होती है, तथा
निष्काम भाव से जाप करने से प्रभु की प्राप्ति शीघ्र होती है।