मै की दुर्दशा लिरिक्स | Mai Ki Durdasha Lyrics

Mai Ki Durdasha Lyrics In Hindi

मै की दुर्दशा लिरिक्स | Mai Ki Durdasha Lyrics एक अत्यंत मार्मिक और हृदयस्पर्शी भजन है, जो संसार में ब्याप्त मै (अहम्) के प्रति जगत को गहराई से और वास्तवितकता को दर्शाता है। इस भजन को संसार के सभी मनुष्य को गहराई तक समझना चाहिए।प्रस्तुत है "मै की दुर्दशा लिरिक्स" हिन्दी में, सुंदर और स्पष्ट रूप में।


Mai Ki Durdasha Lyrics

मै की दुर्दशा लिरिक्स इन हिंदी

फक्र बकरे ने किया,
मेरे सिवा कोई नहीं,
मैं हीं मैं हूँ इस जगत में,
दूसरा है ही नहीं ||

फक्र बकरे ने किया,
मेरे सिवा कोई नहीं,
मैं हीं मैं हूँ इस जगत में,
दूसरा है ही नहीं ||

मैं ही मैं जब तर्क की,
इस माया के असवाव ने,
फेर दी गर्दन पर छूरी,
जल करके तब कस्साव ने ||

मांस हड्डी और चमड़ा,
जो था जाने जार में,
कुछ लुट गया,
कुछ पिस गया,
कुछ बिक गया बाजार में ||

अब फ़क़त आंतें रहीं,
मैं मैं सुनाने के लिये,
ले गया नद्दार जब,
धुनकी बनाने के लिये ||

जर्व सोटे की पड़ी,
तब तांत घबराने लगी,
मैं ही मैं की जगह धुन,
तब तू ही तू आने लगी ||

जब प्रभू की याद आई,
छुट गया पीछा अभी,
दुःख झंझट सब छूटे,
सुख शान्ति पाई फिर तभी ||

* दोहा *

जब मैं था तब तू नहीं,
जब तू है मैं नाहिं,
प्रेम गली अति सांकरी,
जिसमें दो न समाहिं ||

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