लीला तेरी अजब निराली है लिरिक्स | Leela Teri Ajab Nirali Hai Lyrics

Leela Teri Ajab Nirali Hai Lyrics

Leela Teri Ajab Nirali Hai Lyrics In Hindi

* सो लीला तेरी अजब निराली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है,
तू अजर अमर अज निराकार,
परमेश्वर देह कभी न घरे,
बिन पैर चले बिन कान सुने,
 बिन हाथ करोड़ों कर्म करे ||

* हर जगह पर ईश्वर वास तेरा,
हो महाप्रलय तो भी न मरे,
है पिता तू सबका पुत्र तेरे सब,
भोजन दे सबका पेट भरे,
तू हाकिम सारी दुनिया का,
है हुक्म तेरा टारे न टरे ||

* जिसकी लौ तुझमे लाग रही,
उसके दुःख टारे सुख करे,
जो दीनबन्धु तेरी याद करे,
एक पल भर में सिन्धु तरे,
सुख  निधान जग  फुलबगिया का,
तु ही तो माली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है ||१||

* तेरे किसी पेड़ पर फूल लगे,
अरु किसी के उपर लगी कली,
कही ऊँचे टीले चमक रहे,
कहीं नीची भूमि करतार करी,
कहीं खाक उड़े है जंगल में,
कही घास खड़ी है हरी हरी ||

* कहीं घना विपिन वीरान पड़ा,
कहीं पर खुश्की कहीं तरी,
कहीं वाह वाह कहीं हाय हाय,
कहीं खेर खुशी कहीं पड़ी मरी,
कहीं जन्म हुया कही मरण हुआ,
कोई गाये गीत कहीं चिता जली,
कहीं द्वार पर नौवत बाज रही ||

* कोई घर में अखिया नीर भरी,
किस तरह करें गुणगान तेरे,
है घन घन तेरी कारीगरी,
किसी के घर में घोर अन्धेरा,
कहीं दिवाली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है ||२||

* कोई शहंशाह बना दिया,
कोई ठोकर खाये दर दर के,
कोई को साहूकार किया,
कोई करे आसरा पर घर के,
कोई बना दिया चौफ खतर,
कोई गुजारे डर डर के,
कोई गुजर करे है छप्पर में ||

* कोई खड़ा महल संगमरमर के,
कोई को सुखिया बना दिया,
कोई मिला ख़ाक में जर जर के,
कोई हुक्म चलावे लाखो पर,
कोई जीवे सेवा कर कर के ||

* कोई मौज करे कोई पेट भरे,
सिर ऊपर बोझा ढोकर के,
तेरी नजर में कुल दुनिया की,
देखा भाली है
सो लीला तेरी अजब निराली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है ||३||

* कहीं खार पड़े हैं धरती पर,
कहीं ऊँची शिखर पहाड़ों की,
कहीं गर्मी ने तन गर्म किया,
कहीं शान दिखादी जाड़ों की,
कहीं झील बनादी बड़ी बड़ी,
कहीं शोभा छोटे तालों की ||

* कहीं बड़े समुद्र हैं नीर भरे,
कहीं छवि है नदियां नालों की,
कहीं रेगिस्तान बड़े भारी,
कहीं शोभा प्यारे बागों की,
कहीं कोयल कू कू शब्द करे,
कहीं कांय कांय है कागों की ||

* कहीं दिन है सूरज निकल रहा,
कहीं रात है रंगत तारों की,
कहीं शहर कोई वीरान हुआ,
कहीं शान बुलन्द बाजारों की,
किसी की काया गोरी,
किसी की बिल्कुल काली है।
सो लीला तेरी अजब निराली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है ||४||

* कोई चले नहीं बिन मोटर के,
कोई नंगे पैरों भाग रहा,
कहीं ढेर पड़ा जर जेवर का,
कोई कर्ज किसी से मांग रहा,
कोई किसी का दुश्मन बन बैठा,
कोई प्रेम किसी से पाग रहा ||

* कोई छिड़क कहीं पर नीर रहा,
कोई जला कहीं पर आग रहा,
कोई सुख की निदिया सोय रहा,
कोई पड़ा फिकर में जाग रहा,
कोई आस करे है महलों की,
कोई बनी हवेली त्याग रहा ||

* कोई धर्म के लिये बलिदान करे,
कोई धर्म से मुखड़ा मोड़ रहा,
माया तेरी मुनियों के मन मोहने वाली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है ||५||

* कुल जहां में तेरा जलवा है,
तुझसा जलवागर कोई नहीं,
तू हर अफसर का अफसर है,
पर तेरा अफसर कोई नहीं,
तू सबके अन्दर बाहर है,
पर तुझसे बाहर कोई नहीं ||

* सो ईश्वर तेरी शानी का,
दुनिया में दिलावर कोई नहीं,
करुणा-निधान सबसे महान्,
धरती के ऊपर कोई नहीं,
जिसने ले ली है शरण तेरी,
उसे खौफ-खतर है कहीं नहीं ||

* तूही मात-पिता स्वामी सबका,
बस तेरे बराबर कोई नहीं,
रूप राम को दर्शन दो,
क्यों देर लगाली है।
सो लीला तेरी अजब निराली है,
सो लीला तेरी अजब निराली है ||६||

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