फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में लिरिक्स | Faila Bhrastachar Hamare Bharat Mein Lyrics

Faila Bhrastachar Hamare Bharat Mein Lyrics In Hindi

फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में लिरिक्स | Faila Bhrastachar Hamare Bharat Mein Lyrics एक जागरूकता भरा गीत है जो समाज में फैले भ्रष्टाचार की काली सच्चाई को उजागर करता है। इस भजन  के बोल सीधे दिल से निकलते हैं और हर भारतीय को सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि कब तक हम इस बीमारी को सहते रहेंगे?
हम आपको बताने का प्रयास कर रहे 10 लाइनों में भ्रष्टाचार क्या है?


Faila Bhrastachar

फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में

★लड़के का जब ब्याह रचावें,
श्री मुख से श्रीमान सुनावें,
चाहिए अस्सी हजार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||१||

★ घड़ी अंगूठी सूट चाहिये,
सैन्डल चप्पल बूट चाहिये,
हार, फ्रिज कार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||२||

★ एक मशीन हो सीने वाली,
सोफा सैट कटोरी थाली,
मेज कुसियां चार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||३||

★ सबर न इतने पर भी आया,
दोनों ओर का और किराया,
मांगें हाथ पसार,
हमारे भारत में.
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||४||

★ सिस्टम एक और भी खोटा,
कहें बराती थाली लोटा,
हमको भी दरकार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||५||

★ महाभ्रष्ट रिकार्ड गन्दे,
सुन सुन होते हैं खुश अन्धे,
फेंकी शर्म उतार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||६||

★ सुने ना जब तक गन्दा गाना,
हजम न होता तब तक खाना,
डूब रहे मझधार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||७||

★ ऐसे आते कई बराती,
पीते शराब लाज नहीं आती,
गिरते बीच बाजार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||८||

★ गन्दा खेल अगर आजाए,
युवक देखने दौड़ा जाए,
सत्संग से इन्कार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||९||

★ जब से धर्म भुलाया चन्दन,
सुख के कभी न होते दर्शन,
दुःखी हुआ ससार,
हमारे भारत में,
फैला भ्रष्टाचार हमारे भारत में ||१०||

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