श्री प्रेतराज चालीसा लिरिक्स | Shri Pretraj Chalisa Lyrics
Shri Pretraj Chalisa Lyrics In Hindi
श्री प्रेतराज चालीसा एक अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी चालीसा है, जिसे प्रेतबाधा, नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत संकट और अदृश्य भय से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है। यह चालीसा भक्तों को मानसिक शांति, सुरक्षा और आत्मबल प्रदान करती है। हिंदू धर्म में प्रेतराज को अदृश्य शक्तियों के राजा के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि प्रेतराज की आराधना से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की नकारात्मक बाधाएं दूर होती हैं।श्री प्रेतराज चालीसा लिखित में
॥ दोहा ॥गणपति की कर वंदना,
गुरु चरनन चित लाय,
प्रेतराज जी का लिखूं,
चालीसा हरषाय ||१||
जय जय भूताधिप प्रबल,
हरण सकल दुःख भार,
वीर शिरोमणि जयति,
जय प्रेतराज सरकार ||२||
॥ चौपाई॥
जय जय प्रेतराज जग पावन,महा प्रबल त्रय ताप नसावन ||१||
विकट वीर करुणा के सागर,
भक्त कष्ट हर सब गुण आगर ||२||
रत्न जटित सिंहासन सोहे,
देखत सुन नर मुनि मन मोहे ||३||
जगमग सिर पर मुकुट सुहावन,
कानन कुण्डल अति मन भावन ||४||
धनुष कृपाण बाण अरु भाला,
वीरवेश अति भृकुटि कराला ||५||
गजारूढ़ संग सेना भारी,
बाजत ढोल मृदंग जुझारी ||६||
छत्र चंवर पंखा सिर डोले,
भक्त बृन्द मिलि जय जय बोले ||७||
भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा,
दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा ||८||
चलत सैन काँपत भूतलहू,
दर्शन करत मिटत कलि मलहू ||९||
घाटा मेंहदीपुर में आकर,
प्रगटे प्रेतराज गुण सागर ||१०||
लाल ध्वजा उड़ रही गगन में,
नाचत भक्त मगन हों मन में ||१२||
भक्त कामना पूरन स्वामी,
बजरंगी के सेवक नामी ||१३||
इच्छा पूरन करने वाले,
दुःख संकट सब हरने वाले ||१४||
जो जिस इच्छा से आते हैं,
वे सब मन वांछित फल पाते हैं ||१५||
रोगी सेवा में जो आते,
शीघ्र स्वस्थ होकर घर जाते ||१६||
भूत, पिशाच, जिन्न, वैताला,
भागे देखत रूप कराला ||१७||
भौतिक शारीरिक सब पीड़ा,
मिटा शीघ्र करते हैं क्रीड़ा ||१८||
कठिन काज जग में हैं जेते,
रटत नाम पूरन सब होते ||१९||
तन मन धन से सेवा करते,
उनके सकल कष्ट प्रभु हरते ||२०||
हे करुणामय स्वामी मेरे,
पड़ा हुआ हूँ चरण सहारे ||२१||
या विधि अरज करे तन मन से,
छूटत रोग शोक सब तन से ||२२||
मेंहदीपुर अवतार लिया है,
भक्तों का दुःख दूर किया है ||२३||
रोगी, पागल, सन्तति हीना,
भूत व्याधि सुत अरु धन हीना ||२४||
जो जो तेरे द्वारे आते,
मन वांछित फल पा घर जाते ||२५||
महिमा भूतल पर है छाई,
भक्तों ने है लीला गाई ||२६||
महन्त गणेश पुरी तपधारी,
पूजा करते तन मन वारी ||२७||
हाथों में ले मुगदर घोटे,
दूत खड़े रहते हैं मोटे ||२८||
लाल देह सिन्दूर बदन में,
काँपत थर-थर भूत भवन में ||२९||
जो कोई प्रेतराज चालीसा,
पाठ करत नित एक अरु बीसा ||३०||
प्रातः काल स्नान करावै,
तेल और सिन्दूर लगावै ||३१||
चन्दन इत्र फुलेल चढ़ावै,
पुष्पन की माला पहनावै ||३२||
ले कपूर आरती उतारै,
करै प्रार्थना जयति उचारै ||३३||
इच्छा पूरण करते जन की,
होती सफल कामना मन की ||३४||
भक्त कष्टहर अरिकुल घातक,
ध्यान धरत छूटत सब पातक ||३५||
जय जय जय प्रेताधिप जय,
जयति भूतपति संकट हर जय ||३६||
जो नर पढ़त प्रेत चालीसा,
रहत न कबहूं दुख लवलेशा ||३७||
कह भक्त ध्यान धर मन में,
प्रेतराज पावन चरणन ||३८||
॥ दोहा॥
दुष्ट दलन जग अघ हरन,समन सकल भव शूल,
जयति भक्त रक्षक प्रबल,
प्रेतराज सुख मूल ||३९||
विमल वेश अंजनि सुवन,
प्रेतराज बल धाम,
बसहु निरन्तर मम हृदय,
कहत भक्त अनजान ||४०||
इति श्री प्रेतराज चालीसा लिरिक्स