बिन धर्म मनुष्य की जाति लिरिक्स | Bin Dharm Manushya Ki Jati Lyrics

Bin Dharm Manushya Ki Jati Lyrics In Hindi
आंख नाक अरु कान पे,तुमको है यदि कुछ
अभिमान तो आंख मृगा की,
नाक सुआ की,
कन्सूरी बीच जहान,
घोड़े की बढ़िया कहलाती,
बिन धर्म मनुष्य की जाति,
पशु से नीचे गिर जाती ||
हाड़ मास अरु खून में तेरे,
बदबू होती पूरी,
सवासो रुपया तोला है बिकती,
मृगा की कस्तूरी,
जिसे है दुनिया खाती,
बिन धर्म मनुष्य की जाति,
पशु से नीचे गिर जाती ||
थूक तलक भी तेरा भाई,
होता बदबूदार,
कीड़े की तोलार से निकलता है,
रेशम का तार,
पहन कर युवती सजजाती,
बिन धर्म मनुष्य की जाति,
पशु से नीचे गिर जाती ||
बाल काट तेरे नाई,
फेंके खेती के दरम्यान,
भेड़ों के बालों से बनते,
कम्बल अरु अलमान,
ओढ़कर दुनियां सुख पाती,
बिन धर्म मनुष्य की जाति,
पशु से नीचे गिर जाती ||
आबादी से बाहर मित्रों,
शौच करन सब जाते,
गौ के गोबर से तो देखो,
चौका सभी लगाते,
बैठ जहां दुनियां भोजन पाती,
बिन धर्म मनुष्य की जाति,
पशु से नीचे गिर जाती ||