कछुक देर धीरज उर धरिए लिरिक्स | Kacchuk Der Dhiraj Ur Dhariye Lyrics

Kacchuk Der Dhiraj Ur Dhariye Lyrics In Hindi
कछुक देर धीरज उर धरिये,क्यों अस धीर रहा अकुलाय,
धीरज त्यागि दयेउ दसरथ ने,
तनु तजि सुरपुर पहुँचे जाय ||
तजेउ न धीरज कौसल्या ने,
वन से राम मिले पुनि आय,
धीरज सरिस हितू नहि जग में,
जो संकट में कर सहाय ||
ब्याल ग्रसै हरि के वाहन को,
विनु पर पक्षी उड़ें अकास,
अचल स्वभाव तजे निज मेदिनि,
इन्दु तजै निज सील प्रकास |||
बिनु अवसर मर्याद त्याग कर,
सिन्धु करें सब विस्व विनास,
ये सब सम्भव धर्म होहिं परि,
धीर न दुख में होहिं उदास ||
भानु प्रभा को रनि नसावै,
रैनि नसै खद्योत प्रकाश,
व्योम त्यागि निज धर्म देइ नहिं,
व्यक्त पदारथ को अवकास ||
बिनु चिद सत्ता के भ्रम भासै,
बिनु उपाधि आभास,
ये सब सम्भव धर्म होहिं परि,
धीर न दुख में होहिं उदास ||
भानु फटे नभ में गर्जन कर,
विधु के वदन स्रवै विषधार,
भूधर उड़ि नभ में टकराकर,
खंड खंड हो गिरें श्रगार ||
पवन वेग सों अवनि प्रकम्पन,
होइ मचे जग हाहाकार,
तजे न धीरज धीर सहें,
तन ऐसे विघन अनेकन वार ||
प्रलय काल के वारिद नभ से,
छोड़ें नीर मूसलाधार,
बढ़वानल की प्रबल प्रभा सों,
स्वर्ग तचै सुर करें पुकार |
तारे टूटि गिरे भूतल पर,
हों ऐसे उतपात अपार,
तजें न धीरज धीर सहें,
तन ऐसे विघन अनेकन बार ||
अनल ताइ घन की चोटन सों,
लोहा बने तेग की धार,
धीर कहाये वे नर जिन्हनें,
हँस कर सही विपति की मार ||
अल्पकाल की पाइ आपदा,
ऐसो गयो तु साहस हार,
मोइ सपथ है श्री गंगे की,
जो न करउ भवसागर पार ||