सच्चिदानंद धन लिरिक्स | Sachchidanad Dhan Lyrics

Sachchidanad Dhan Lyrics In Hindi
सच्चिदानन्द घन,पाके मानुष का तन,
तू भुलाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
सच्चिदानन्द घन,
पाके मानुष का तन,
तू भुलाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
मोह माया के,
बन्धन को तोड़ो,
सच्चिदानन्द में,
प्रीति को जोड़ो ||
झूठा संसार है,
माया बाजार है,
सब जहाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
सच्चिदानन्द घन,
पाके मानुष का तन,
तू भुलाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
बन्धु सुत दास दासी घनेरे,
संग कोई न जायेंगे तेरे ||
मूढ़ पछतायगा,
छूट सब जायगा,
धन खजाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
सच्चिदानन्द घन,
पाके मानुष का तन,
तू भुलाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
नाश होवेगी,
तेरी यह काया,
तेल मल कर के,
जिसमें नहाया ||
सुन्दर गोरा यह तन,
राख जावेगा बन,
फिर न आना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
सच्चिदानन्द घन,
पाके मानुष का तन,
तू भुलाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
'गीतानन्द' कहें सुन सयाना,
यह दुनियां मुसाफिर खाना ||
मोह माया तजो,
निशदिन हरि को भजो,
तज बहाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||
सच्चिदानन्द घन,
पाके मानुष का तन,
तू भुलाना,
काहे फिरता है,
बन कर दिवाना ||