नित्य पूजा में बोले जाने वाले मंत्र | Nitya Pooja Mantra
Nitya Puja Mantra In Hindi
हिंदू धर्म में नित्य पूजा में बोले जाने वाले मंत्र | Nitya Pooja Mantra (Daily Worship) एक अत्यंत पवित्र एवं महत्वपूर्ण साधना है, जो आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से जुड़ने का मार्ग है। नित्य पूजा के दौरान बोले जाने वाले मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं।प्रातःकाल कर दर्शन का मन्त्र
* कराग्रे वसते लक्ष्मीः,
करमध्ये सरस्वती,
कर मूले स्थितो ब्रह्मा,
प्रभाते कर दर्शनम् ||1||
भावार्थ -
* यह श्लोक पढ़कर हाथों का दर्शन करे,
* क्योंकि लक्ष्मी हाथों के आगे है, यानी उद्योग करो, सरस्वती हाथों के बीच में ही है यानी हाथों में पुस्तक लेकर पढ़ो।
* ब्रह्मा (विधाता) आपके हाथ के नीचे है, यानी हाथों से अच्छे कार्य करो अच्छा भाग्य बन जायेगा।
* अतः प्रातः हाथों का दर्शन करके सभी कार्य करे।
प्रातः पृथ्वी पर पैर रखने का मन्त्र
* समुद्रवसने देवि ! पर्वतस्तन मण्डिते,
विष्णुपत्नि ! नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व माम् ||2||
मल (शौच) त्याग का मन्त्र
* गच्छन्तु ऋषयोदेवाः पिशाचा येच गुह्यकाः,पितृभूतगणाः सर्वे करिष्ये मलमोचनम् ||3||
दन्तधावन (मंजन) मन्त्र
* आयुर्वलं यशोवर्चः प्रजापशुवसूनि च,ब्रह्म प्रज्ञां च मेघां च त्वं नो देहि वनस्पते ||4||
क्षौर कर्म (बाल या नख काटना) नियम मन्त्र
* अमावस चौदस पूर्णिमा संक्रांति व्यतिपात,श्राद्ध रवि मङ्गल शनि क्षौर न प्रातः सुहात ||5||
तेल मर्दन नियम
* पूनम अमा एकादशी,द्वादशी षष्ठी होय,
रवि गुरु मङ्गल शुक्र,
तेल न लगाये कोय ||6||
स्नान मन्त्र
* गगे च यमुने चैव गौदावरि सरस्वति,नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन्सन्निधि कुरु ||7||
सूर्य अर्घ्य मन्त्र
* एहि सूर्य, सहस्रांशो, तेजोराशे जगत्पते,अनुकम्पय मां देव गृहणार्घ्य दिवाकर ||8||
आसन व शरीर शुद्धि मन्त्र
* ॐ अपवित्रः पवित्रो या सर्वावस्थांगतोऽपि वा,यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्ष स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ||9||
चरणामृत मन्त्र
* अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम्,विष्णोः पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ||10||
चन्द्र अर्घ मन्त्र
* क्षीरोदार्णव सम्भूत, अत्रि गोत्र समुद्भव,गृहणाय शशांकेदं, रोहिण्या सहितो मम ||11||
तिलक करने का मन्त्र
* केशवानन्द गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम,पुण्यं यशस्यमायुष्यं, तिलकं मे प्रसीदतु,
कान्तिं लक्ष्मीं धृति सौख्यं, सौभाग्यमतुलं मम,
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ||12||
माला जपते समय का मन्त्र
* अविघ्नं कुरु माले त्वं गृहणामि दक्षिणे करे,जाप काले चसिद्धयर्थं प्रसीद मम सिद्धये ||13||
सूर्य दर्शन मन्त्र (फल)
* कनक वर्ण महातेजं, रत्नमाला विभूषितम्,प्रातः काले रवि दर्शनं, सर्व पाप विमोचनम् ||14||
यज्ञोपवीत धारण मन्त्र
* ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं,प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्,
आयुष्मग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्र,
यज्ञोपवीतं बलमस्तुतेजः ||15||
जीर्ण यज्ञोपवीत त्याग करने का मन्त्र
* एतावद्दिनपर्यन्तं ब्रह्मत्वं धारितं मया,जीर्णत्वाञ्च परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम् ||16||
प्रातःकाले ब्रह्म चिन्तनम् ||17||
* प्रातः स्मरामि हृदि संस्फुरदात्त्म् तत्त्वं,सच्चित् सुखं परम हंसर्गात तुरीयम्,
यत् स्वप्न जाग्रत सुषुप्तिमवैत नित्यं,
तद् ब्रह्म निष्कलमहं न च भूत संघः ||1||
* प्रातर्भजामि मनसा बचसामगम्यं,
वाचो विभान्ति निखिला यदनुग्रहेण,
यन्नेति नेति बचनैनिगमा अवोचम्,
तं देव-देव मजमच्युतमाहुरग्रयम् ||2||
* प्रातर्नमामि तमसः परमर्कवर्ण,
पूर्ण सनातनपदं पुरुषोत्तमाख्यम्,
यस्मिन्निदं जगद् शेषमशेष मूतौ,
रज्ज्वां भुजंगम इव प्रति भासितं वे ||3||
श्लोक त्रयमिदं पुण्यं लोकत्रय विभूषणम्,
प्रातः काल पठेद्यस्तु सगच्छेत्परमं पदम् ||4||