नेत्र रोग निवारण मंत्र | Eye Special Mantra
Eye Special Mantra In Hindi
आंखें हमारे शरीर का सबसे अनमोल रत्न हैं। जब इनमें कोई रोग हो जाता है, तो जीवन की सुंदरता फीकी पड़ जाती है। आयुर्वेद और प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों में ऐसे कई चमत्कारीनेत्र रोग निवारण मंत्र | Eye Special Mantra का वर्णन है, जिनके नियमित जाप से नेत्र रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है और दृष्टि शक्ति में वृद्धि होती है।नेत्र रोग निवारण के लिए सिद्ध मंत्र
* भुक्त्वा पाणि तलं घृष्ट्ववा,चक्षुषो दीयते यदि,
जाता रोगा विनश्यन्ति,
तिमिराणि तथैव च || (शारङ्गधर संहिता)
भावार्थः-
* जो व्यक्ति नित्य दोनों समय भोजन के पश्चात् तुरन्त ही दोनों हथेलियों को रगड़ कर नेत्रों में लगाता है तोतिमिर तथा उत्पन्न हुए अन्यान्य सभी रोग नाश हो जाते हैं।
नेत्र रोग व चश्मा छुड़ाने को
श्लोक* शीताम्बु पूरित मुखः प्रतिवासरं यः,
वारत्रयं नयनयोद्वितयः जलेन,
श्रासिञ्चति ध्रुवमसौ न कदाचिदक्षि-
रोग व्यथा विधुरतां भजते मनुष्यः ||
भावार्थ:-
* जो मनुष्य नित्य प्रातःकाल (दांतुन करने के बाद) मुख में पूर्णतया शीतल जल भरकर पुनः हाथ में जल लेकर तीन
तीन बार दोनों नेत्रों को ( उस जल में खोले रहे ) इस प्रकार यासिञ्चन करता है, वह कभी भी नेत्र रोग पीड़ा की विकलता को प्राप्त नहीं होता, अर्थात् नेत्र निरोग रहते हैं।
वात, पित्त, कफ, व ज्वर का उपाय
* वमनं कफ नाशाय, वात नाशाय मर्दनम्,शयनं पित्त नाशाय, ज्वर नाशाय लंघनम् ||
भावार्थ:-
१-कफ नाश करने के लिये वमन (उल्टी) करें।
२- वायु नष्ट करने के लिये तैल मर्दन करें।
३- पित्त नाश के लिये शयन करें ।
४- ज्वर नष्ट करने के लिये लंघन करें ।
सौ वर्ष तक निरोग जीने का उपाय
* बामशायी द्विभुजानो, षणमूत्री द्विपुरीशकः,स्वल्प मैथुनकारी च, शतं वर्षाणि जीवति ||
भावार्थः-
* बायें करवट से सोने वाला,
* दो समय भोजन,
* छः बार मूत्रत्याग,
* दो बार शौच, तथा स्वल्प मैथुन करने वाला
* सौ वर्ष तक जीवित रहता है।