शिखा बंधन मंत्र | Shikha Bandhan Mantra

Shikha Bandhan Mantra In Hindi

शिखा बंधन मंत्र (Shikha Bandhan Mantra) एक अत्यंत पवित्र वैदिक प्रक्रिया का भाग है, जो ब्राह्मण, पंडित, यजमान, और वैदिक कर्मकांड में संलग्न व्यक्ति द्वारा सिर पर शिखा (चोटी) को बांधते समय बोला जाता है। यह मंत्र आत्मशुद्धि, ध्यान केंद्रित करने और ब्रह्म से जुड़ने के उद्देश्य से बोला जाता है। यह मंत्र न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायक होता है।


Shikha Bandhan Mantra

चोटी में गांठ लगाने का मंत्र व अर्थ

ॐ चिद्रूपिणि महामाये दिव्यतेजः समन्विते,
तिष्ठ देवि शिखामध्ये तेजोवृद्धि कुरुव मे ||

भावार्थ-

ॐ चिद्रुपिणी महामाये दिव्यतेजः समन्विते,
हे देवी, शिखर के मध्य में खड़े हो जाओ और मेरी शोभा बढ़ाओ।

FAQ

1-  शिखा बांधते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

"ॐ चिद्रूपिणि महामाये दिव्यतेजः समन्विते,
तिष्ठ देवि शिखामध्ये तेजोवृद्धि कुरुव मे ||"

2- शिखा बंधन के क्या नियम हैं?

शिखा बंधन के महत्वपूर्ण नियम

1. शिखा सिर के मध्य में होनी चाहिए शिखा हमेशा सिर के पीछे मध्य भाग (ब्राह्मरंध्र या सहस्रार चक्र) पर रखी जाती है। यह स्थान ऊर्जा का मुख्य केंद्र माना जाता है।

2. शिखा बांधने से पहले स्नान आवश्यक है
शुद्धता आवश्यक है। स्नान के बाद ही शिखा बांधना चाहिए। बिना स्नान किए शिखा बांधना शास्त्रविरुद्ध माना जाता है।

3. दाएं हाथ से बांधनी चाहिए शिखा
शिखा बंधन हमेशा दाएं हाथ से किया जाना चाहिए। बांधते समय बाएं हाथ का उपयोग नहीं करना चाहिए।

4. शिखा खोलना निषिद्ध है
जब तक विशेष कारण न हो (जैसे अंतिम संस्कार या विशेष तपस्या), शिखा को खुला छोड़ना अशुभ माना जाता है।

5. विशेष अवसरों पर शिखा ज़रूर बांधी जानी चाहिए
यज्ञ, पूजा, हवन, संध्या वंदन, जप-तप, उपनयन, और वेदाध्ययन के समय शिखा अवश्य बांधनी चाहिए।

6. शिखा काटना वर्जित है (जब तक कारण न हो)
केवल विशेष धार्मिक क्रियाओं (जैसे श्राद्ध या शोक) के समय ही शिखा हटाई जा सकती है। सामान्य परिस्थिति में यह वर्जित है।

7. मंत्रोच्चार के साथ शिखा बांधें
शिखा बंधन के समय “ॐ केशवाय नमः...” आदि मंत्रों का उच्चारण किया जाना चाहिए।

क्या न करें (Don'ts):

* बिना स्नान के शिखा न बांधें।
* शिखा को कंघी से न सुलझाएं।
* शिखा को फैशन या सजावट के लिए न रखें, यह श्रद्धा और साधना का प्रतीक है।
* गलत स्थान पर (कान के पास, गर्दन के पास) शिखा नहीं रखनी चाहिए।

शिखा क्यों महत्वपूर्ण है?

* यह सहस्रार चक्र को सक्रिय करता है।
* साधना की ऊर्जा को सुरक्षित रखता है।
* वेदपाठ, ध्यान और ब्रह्मचर्य पालन में सहायक होता है।
* व्यक्ति को धार्मिक मर्यादा का स्मरण कराता है।

3- शिखा बंधन का अर्थ क्या है?

"शिखा" का अर्थ होता है – सिर के पीछे की ओर रखी गई चोटी (बालों का गुच्छा)।
"बंधन" का अर्थ होता है – बांधना या संयमित करना।

अर्थात्, शिखा बंधन का तात्पर्य है — सिर के ऊपरी भाग की चोटी को विधिपूर्वक बांधना।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से शिखा बंधन का अर्थ:

1. ऊर्जा का संरक्षण (Energy Lock):
शास्त्रों के अनुसार, हमारे सिर के मध्य में स्थित सहस्रार चक्र (Crown Chakra) आत्मिक ऊर्जा का मुख्य केंद्र होता है। शिखा बांधने से यह ऊर्जा स्थिर और सुरक्षित रहती है।

2. स्मरण शक्ति और ध्यान में सहायक:
शिखा बंधन ध्यान केंद्रित करने, स्मरण शक्ति बढ़ाने और मानसिक स्थिरता में सहायक होता है। विशेष रूप से वेदाध्ययन के समय यह अत्यंत उपयोगी माना जाता है।

3. ब्रह्मचर्य का प्रतीक:
शिखा ब्रह्मचर्य, संयम और शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है। यह धर्म, तप और त्याग की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम होता है।

4. परंपरा और पहचान:
ब्राह्मण, वैदिक विद्यार्थी, पंडित आदि की पहचान भी उनकी शिखा होती है। यह एक धर्मिक संस्कृति की पहचान है।

शास्त्रीय मान्यता:
पुराणों और वेदों में उल्लेख है कि—
"शिखा या चूड़ामणि न केवल ब्राह्मणत्व का चिह्न है, बल्कि यह दिव्यता का द्वार भी है।"

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